मनोहरपुर : पारंपरिक सीट पर मांझी परिवार का रहेगा कब्जा या 2009 का इतिहास दोहराएंगा एनडीए, निर्दलियों ने किसकी उड़ायी नींद ?
19 नव. 2024
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जयकुमार
चक्रधरपुर ( CHAKRADHARPUR ) : सिंहभूम लोकसभा का मनोहरपुर विधानसभा का अपना एक इतिहास रहा है. जल,जंगल और जमीन की लड़ाई के अगुवा रहे देवेंद्र मांझी के परिवार का पिछले तीन दशक से कब्जा रहा है, उनके निधन के बाद उनकी पत्नी जोबा मांझी ने 1995 से मनोहर सीट से लगातार चुनाव जीत हासिल करती रही, बिहार से लेकर झारखंड तक कई सरकारों में मंत्री भी रही, इस साल 2024 लोकसभा चुनाव में भारी मतों से जीत कर सांसद बन चुकी है, लिहाजा उनकी जगह झामुमो ने उनके बेटे जगत मांझी को मैदान में उतारा है.
त्रिकोणीय संघर्ष में फंसा है मनोहरपुर सीट
मनोहरपुर सीट का पिछले कई चुनाव का आंकड़ों पर नजर डाले तो साफ दिखता है कि यहां झामुमो और भाजपा के बीच ही सीधी लड़ाई होती रही है, जिसके कारण जोबा मांझी को एक तरफा चुनावी लाभ मिला और लगातार जीतती रही, लेकिन 2009 में वे त्रिकोणीय संघर्ष में फंसी तो चुनाव हार गई. इस बार भी लड़ाई तो सीधी ही है, लेकिन निर्दलियों ने मुकाबले को काफी दिलचस्प बना दिया है. इस बार मनोहरपुर सीट एनडीए से आजसू के कोटे में चला गया और आजसू ने पिछला प्रत्याशी बदल दिया, आजसू ने आदिवासी हो समाज से दिनेश बोयपाई को प्रत्याशी बनाया, आदिवासी हो समाज की 70 फीसदी आबादी होने बावजूद संथाल, मुंडा और गौंड आदिवासी ही ज्यादातर चुनाव लड़ते रहे हैं. लेकिन इस बार आदिवासी हो समाज के प्रत्याशी होने का लाभ आजसू को मिलने की पूरी संभावना जताई जा रही है. इसलिए लोगों का मानना है कि जोबा मांझी के बेटे और झामुमो प्रत्याशी जगत मांझी को आजसू से कड़ी टक्कर मिल रही है और परिणाम किसी के पक्ष में जा सकता है.
गुदड़ी और गोइलकेरा में मांझी परिवार का दबदबा
मनोहरपुर विधानसभा का सुदूरवर्ती क्षेत्र गुदड़ी और गोइलकेरा इलाके में झामुमो खासकर मांझी परिवार का दबदबा रहा है, स्व0 देवेंद्र मांझी इसी क्षेत्र में जल,जंगल और जमीन की लड़ाई लड़ते रहे हैं, जिसका प्रभाव आज भी मांझी परिवार से जुड़ा है. लेकिन इस बार इसी क्षेत्र में कई निर्दलियों ने सेंधमारी कर माझी परिवार को चिंता में डाल दिया है. आजसू प्रत्याशी दिनेश बोयपाई इसी क्षेत्र से ना सिर्फ आते हैं बल्कि इसी क्षेत्र के कुइड़ा गांव के मुखिया भी हैं. साफ है कि मांझी परिवार के गढ़ में ही निर्दलियों और आजसू दोनों ने जबरदस्त सेंधमारी की है.
एक ही परिवार का सांसद-विधायक बनेगा के नैरिटव से भी नुकसान
मनोहरपुर में इस बार सांसद जोबा मांझी और उनके बेटे को लेकर विपक्षियों ने जोरदार फिल्डिंग की है. एनडीए और निर्दलियों ने गांव-गांव में इस नारे को खूब हवा दी कि पिता को विधायक बनाया, मां को विधायक-सांसद बनाया और अब बेटा ही विधायक बनेगा, एक ही परिवार का कब्जा रहेगा, क्या मनोहरपुर से कोई झामुमो कार्यकर्ता या आदिवासी हो समाज का व्यक्ति विधायक बनने योग्य नहीं है. मांझी परिवार के खिलाफ इस नेगेटिव नैरेटिव का ग्रामीण आदिवासियों पर कितना असर हुआ है, इसका सही आकलन 23 नवबंर को ही पता चल पाएगा.
एनडीए की एकजूटता कितना लाएगी रंग
2009 में भाजपा के गुरूचरण नायक ने ही जोबा मांझी को पहली बार हार का स्वाद चखाया था, लेकिन उसके बाद 2014 और 2019 में नायक को लगातार शिकस्त मिली. 2019 में तो एनडीए में बिखराव के कारण भाजपा और आजसू अलग-अलग चुनाव लड़े. भाजपा से गुरूचरण, तो आजसू से बिरसा मुंडा मैदान में थे और दोनों हार गए, लेकिन इस बार परिस्थिति बिल्कुल अलग है, एनडीए का कुनबा एकजूट है, गुरूचरण और बिरसा मुंडा दोनों ने आजसू प्रत्याशी के लिए अपने स्तर से खूब पसीना बहाया है.
मांझी परिवार के परंपरागत मिशनरी वोट बैंक में सेंधमारी
मनोहरपुर सीट से मांझी परिवार की लगातार जीत का एक बड़ा फैक्टर मिशनरी वोट रहा है. मिशनरी का एकमुश्त वोट हर चुनाव में सिर्फ और सिर्फ मांझी परिवार को ही मिलता रहा है. लेकिन इस बार एक,दो,तीन नहीं निर्दलियों में मिशनरी वोट बैंक में ऐसी सेंधमारी कर दी है कि झामुमो खेमे की नींद उड़ गई है. मिशनरी वोट बैंक में सबसे ज्यादा सेंधमारी झामुमो के टिकट के सबसे प्रबल दावेदार रहे मसीह दास भुइयां के द्वारा करने की खबर है. जोबा मांझी के सांसद बनने के बाद मनोहरपुर से मसीह दास ही सबसे बड़े दावेदार थे और पार्टी में टिकट के लिए सारी औपचारिकता भी पूरी की थी, लेकिन टिकट मिलने से पहले ही उन्हें पार्टी से ही बाहर का रास्ता दिखा दिया गया. जिससे नाराज मसीह दास पार्टी और सांसद जोबा के खिलाफ हो गए. दूसरी तरफ कैंची छाप से जयराम महतो की पार्टी के दिलवर खाखा ने भी मिशनरी वोट बैंक में सेंधमारी की है. वहीं आसरा एनजीओ के संचालक और वन ग्राम का आंदोलन चलाने वाले शिवकर पूर्ति, सावन हेम्बम, महेंद्र जामुदा जैसे निर्दलीय उम्मीदवारों ने मिशनरी वोट बैंक में सेंधमारी की है.
बहरहाल, मतदान के बाद जिस तरह मनोहरपुर सीट के अलग-अलग इलाकों से खबरें मिल रही है, उससे साफ है कि जिस तरह लोकसभा चुनाव में जोबा मांझी बेहद आसानी और भारी मतों से जीत गई, वैसा उनके बेटे के लिए जीत की राह आसान नहीं हैं, तो आजसू के लिए भी जीत ज्यादा दूर नहीं है.