नेताओं की वफादारी टिकट मिलने तक, कौन-कौन बागी हुए भाजपा नेता, जानिए इस खबर में .....
20 अक्टू. 2024
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उपेंद्र गुप्ता
रांची (RANCHI): झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने जैसे ही अपने प्रत्याशियों के नामों की घोषणा की, पार्टी में बगावत और भगदड़ मचने लगा है. जिन्हें टिकट मिला उनकी तो बल्ले-बल्ले हो गई, पर जो सालों से टिकट की आस लगाए थे, पार्टी ने जब टिकट नहीं दिया तो वे लोग नाराज हो गए. और पार्टी के प्रति उनकी वाफादारी खत्म हो गई, वे या तो दूसरे दल से संपर्क कर रहे हैं या फिर निर्दलीय ही ताल ठोंकने की तैयारी में हैं. दरअसल, सबसे पहले भाजपा ने ही प्रत्याशियों की घोषणा की है, इसलिए बगावत और भगदड़ की खबर भाजपा खेमे से ही आ रही है. झामुमो,कांग्रेस,आजसू ने अभी प्रत्याशियों के नाम की घोषणा नहीं की है, उनके घोषणा के बाद इन पार्टियों से भी बगावत और भगदड़ की खबरें आना तय है......
मेनका, गणेश, गुरूचरण और लुइस का बागी तेवर
कोल्हान के पोटका से भाजपा ने पूर्व सीएम अर्जुन मुंडा की पत्नी मीरा मुंडा को टिकट है, जिससे नाराज पोटका की पूर्व विधायक मेनका सरदार ने पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है और उनके निर्दलीय चुनाव लड़ने की खबर है. वहीं दुमका से पूर्व मंत्री लुइस मरांडी भी टिकट नहीं मिलने से बागी तेवर अपनाने के मूड में हैं, हालांकि अभी तक लुइस की ओर कोई अधिकारिक अभी सामने नहीं आया है, लेकिन खबरों के अनुसार झामुमो के संपर्क में हैं और जामा से चुनाव लड़ने की संभावना है. इसी तरह मनोहरपुर सीट आजसू के कोटे में जाने से भाजपा के पूर्व विधायक गुरूचरण नायक ने बागी तेवर अपना लिया है और आजसू सुप्रिमो सुदेश महतो से मिल चुके हैं. भाजपा नेता गणेश महली भी सरायकेला से टिकट नहीं मिलने पर झामुमो के टिकट पर सरायकेला से चुनाव लड़ने की तैयारी में प्रयास कर रहे हैं.
संदीप वर्मा का ने निकाली भड़ास
सबसे बागी तेवर भाजपा नेता संदीप वर्मा दिखा रहे हैं. संदीप वर्मा जैसे ही टिकट से वंचित हुए, भाजपा के खिलाफ जम कर भड़ास निकाली. रांची में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने कहा कि सीपी सिंह फिर भी उन्हें टिकट मिला. मीरा मुंडा,पूर्णिमा दास का पार्टी में क्या योगदान है, जो न्हें टिकट मिला. लोकसभा में चुनाव हारने के बावजूद तीन लोगों को टिकट दिया गया. ढुल्लू महतो के भाई को टिकट दिया गया. संदीप वर्मा ने कहा कि पार्टी ने पूरी तरह से रायशुमारी और सर्वे रिपोर्ट को खारिज कर परिवारवाद को बढ़ावा दिया. अब पार्टी के नेता किस मूंह से परिवारवाद का विरोध करेंगे. भाजपा नेता ने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि पार्टी उनके नाम पर पुर्नविचार नहीं करती है तो वे निर्दलीय चुनाव लड़ने को बाध्य हो जाएंगे.
मझधार में जय प्रकाश भाई
मांडू के पूर्व विधायक जयप्रकाश भाई पटेल मंझधार में फंस गए हैं. लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए भाजपा छोड कांग्रेस में शामिल हो गए, चुनाव भी हार गए और सदस्यता भी चली गई, अब मांडू से झामुमो ने दावा किया है, और मांडी से झामुमो उम्मीदवार दे देती है तो उनके सामने निर्दलीय चुनाव लड़ने के सिवाय कोई रास्ता नहीं होगा. पाला बदलने वाले नेताओं के साथ ऐसा भी होने के दर्जनों उदाहरण हैं.
मतलब साफ है जब तक टिकट की उम्मीद है पार्टी के प्रति समर्पण और वफादारी है. वंचित होते ही सबकुछ खत्म. लेकिन कुछ ऐसे भी नेता हैं, जो टिकट के प्रबल दावेदार थे लेकिन टिकट नहीं नहीं मिलने के बावजूद पार्टी के प्रति की शिकायत नहीं कर हैं बल्कि पार्टी के प्रत्याशी को जीत के लिए काम करने को तैयार है, इस कड़ी में भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व सांसद लक्ष्मण गिलुवा की पत्नी मालती गिलुवा ने टिकट नहीं मिलने के बावजूद प्रत्याशी को उनके घर स्वयं पहुंच गई.