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चक्रधरपुर के रिकॉर्ड से चिंतित है झामुमो, सुखराम पर संस्पेंस बरकरार

23 अक्टू. 2024

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उपेंद्र गुप्ता


रांची (RANCHI): झारखंड मुक्ति मोर्चा ने देर रात अपने कोटे के 35 सीटों पर प्रत्याशियों के नामों की घोषणा कर दी है. लगभग सभी मंत्रियों और पुराने चेहरे को फिर से मैदान में उतारा है. प0 सिंहभम के पांच में से चार सीटों पर भी प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है. लेकिन चक्रधरपुर विधानसभा सीट के लिए प्रत्याशी के नाम की घोषणा नहीं की है. यहां से झामुमो के सुखराम उरावं विधायक है, जिनके नाम पर अपनी मुहर नहीं लगी है, जिसकों जिले में चर्चा का बाजार काफी गर्म है, लोगों के बीच कयासों का दौर जारी है, कुछ का मानना है कि उनका टिकट कट गया है और उनकी जगह विजय सिंह गागराई को झामुमो अपना प्रत्याशी बना सकती है. जबकि निर्वतमान विधायक सुखराम उरावं ने नामांकन की सारी तैयारी कर ली है और संभवतः बुधवार को नामांकन कर सकते हैं.




 

पिछले रिकॉर्ड से चिंतित और असमंजस में है झामुमो !

जिले के चक्रधरपुर विधानसभा क्षेत्र के लिए पहले चरण में 13 नवंबर को मतदान होना है. इसलिए जिले के सभी सीटों के प्रत्याशियों के नाम की घोषणा हो चुकी है. चाईबासा, मझगांव और मनोहरपुर के झामुमो प्रत्याशी बुधवार को ही नामांकन करने वाले हैं, उनके नामांकन में खुद सीएम हेमंत सोरेन और उनकी पत्नी कल्पना सोरेन शामिल हो रही हैं, लेकिन चक्रधरपुर का मामला अटक गया है. दरअसल चक्रधरपुर का पिछला रिकॉर्ड ही ऐसा है कि झामुमो नेता चिंतित दिख रहे है, वे असमंजस की स्थिति में हैं कि निर्वतमान विधायक को दुबारा टिकट दें या नहीं. चक्रधरपुर विधानसभा के इतिहास में आज तक कोई भी विधायक दुबारा जीत हासिल नहीं कर पाया है, खुद सुखराम भी 2005 में जीत के बाद 2009 रिपीट नहीं कर पाए और भाजपा के लक्ष्मण गिलुवा से चुनाव हार गए. दुबारा उन्हें 2019 में सफलता मिली. इतिहास गवाह है कि चक्रधरपुर की जनता ने लगातार दुबारा किसी विधायक को मौका नहीं दिया है. बस झामुमो को यह रिकॉर्ड ही चिंतित कर रहा है और असमंजस में डाले हुए है. यहां गौर करने वाली बात यह है कि पिछली बार 2019 में चक्रधरपुर से झामुमो के ही विधायक शशिभूषण सामड थे और उनके खिलाफ एंटी इंकैम्बैंसी के कारण झामुमो ने टिकट काट कर सुखराम उरावं को अपना प्रत्याशी बनाया और झामुमो ने जीत हासिल की थी ।

 

सिर्फ तीन नेता ही दो बार पर अलग-अलग समय जीते

चक्रधरपुर विधानसभा क्षेत्र से अब सिर्फ तीन नेता ही दो बार जीत हासिल कर पाएं हैं, लेकिन अलग-अलग समय पर ही जीत सकें हैं. 1980 से 2019 तक के आंकडें को देखें तो यह तस्वीर साफ दिखती है. 1980 में झामुमो के देवेन्द्र माझी, 1985 में भाजपा के जगन्नाथ बांकिरा, 1990 में झामुमो के बहादुर उरांव, 1995 में भाजपा के लक्ष्मण गिलुवा व 2000 में भाजपा के चुमनू उरांव, वर्ष 2005 में झामुमो के सुखराम उरांव व वर्ष 2009 में भाजपा के लक्ष्मण गिलुवा विजयी हुए थे. 2014 में शशिभूषण सामड, 2019 में सुखराम उरावं ने जीत हासिल की. साफ है कि 1977 में जगन्नाथ बांकिरा ने जनता पार्टी व 1985 में भाजपा उम्मीदवार के तौर पर चुनाव जीता था। जबकि भाजपा के लक्ष्मण गिलुवा को 1995  और 2009 में सफलता मिली, सुखराम उरावं को 2005 और 2019 में सफलता मिली.

 



2019 से अलग है 2024 की परिस्थिति

 2019 के आंकड़ें पर नजर गौर करें तो चक्रधरपुर विधानसभा की स्थिति इस बार माहौल झामुमो के पक्ष में दिख ही नहीं रहा है. 2019 में झामुमो के सुखराम उरावं को 43,729 मत मिले थे, जबकि भाजपा के लक्ष्मण गिलुवा को 31,541 मत मिला था.जेवीएम के शशिभूषण सामड को 17,477 और आजसू के रामलाल मुंडा को 17,477 मत मिले थे. अर्थात 2019 में भाजपा,आजसू और जेवीएम अलग-अलग चुनाव लड़े थे, जिसका सीधा लाभ झामुमो को मिला, लेकिन अंतर बहुत बड़ा नहीं था.  इस बार एनडीए एकजूट है और जेवीए साथ में है, यानि भाजपा,जेवीएम और आजसू के मतों को मिला दें तो एनडीए झामुमो से काफी आगे है.

 



विधायक के खिलाफ नाराजगी और एंटी इंकैम्बैंसी

चक्रधरपुर के सीटिंग विधायक के खिलाफ नाराजगी और एंटी इंकैम्बैंसी कोई नई बात नहीं है. निर्वतमान विधायक क खिलाफ भी यहीं परिस्थिति बनी हुई है. फिर उनके सामने शशिभूषण सामड और विजय सिंह गागराई बड़ी चुनौती बन कर उभरे हैं. कहते है समय सबका आता है, बस इंतजार करना पड़ा है, 2019 में शशिभूषण सामड के लिए खुद सुखराम चुनौती बन गए थे, इस बार शशिभूषण उनके लिए बड़ी चुनौती बन गए हैं, शशिभूषण तो विरोधी दल से हैं. लेकिन सुखराम को तो घर से ही चुनौती मिल रही है. खरसावां के झामुमो विधायक दशरथ गागाराई के भाई विजय सिंह गागाराई उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती हैं. खबर है कि विजय सिंह गागराई को झामुमो अपना प्रत्याशी बना सकती है और अंतिम समय में उनके नाम की घोषणा की जाएगी, इसीलिए चक्रधरपुर को होल्ड पर रखा गया है. दूसरा पक्ष यह भी है कि यदि किसी तरह सुखराम टिकट लेने में कामयाब हो गए तो विजय सिंह गागाराई निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर जाएंगे, जो सुखराम की जीत में रोड़ा बन सकते हैं.     

 

 

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