परिवारवाद पर बाबूलाल की सफाई, पार्टी की पहचान और संचालन ही परिवारवाद
21 अक्टू. 2024
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TVT NEWS DESK
रांची ( RANCHI ) : भाजपा पर परिवार का लग रहे आरोपों पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने सफाई दी है. मरांडी ने कहा कि परिवार वाद का मतलब परिवार से ही पार्टी की पहचान और परिवार से ही पार्टी संचालित होना ही परिवारवाद कहलाता है. देश में कांग्रेस पार्टी की पहचान और संचालन गांधी परिवार से होता है. झारखंड में झामुमो की पहचान और संचालन शिबू सोरेन के परिवार से होता है. बिहार में राष्ट्रीय जनता दल की पहचान और संचालन लालू प्रसाद यादव के परिवार से होता है. उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की पहचान और संचालन भी मुलायम सिंह यादव के परिवार से होता है. इसे परिवारवाद कहते हैं.
चुनाव में टिकट ना मिलने पर नाराजगी स्वाभाविक
उन्होंने कहा कि कोई चुनाव लड़ता है, तो कहीं ना कहीं किसी का कोई बेटा होता है, कोई बहू होती है, कोई पत्नी होती है, कोई भाई होता है, यह हो सकता है. लेकिन पार्टी का संचालन वे नहीं करते हैं. पार्टी का संचालन कार्यकर्ता करते हैं. भारतीय जनता पार्टी का एक सिस्टम है. इसी सिस्टम के तहत पार्टी का संचालन होता है. इसे परिवारवाद कहना गलत है. उन्होंने कहा कि चुनाव के समय कुछ लोगों की नाराजगी होती है. सभी से हम लोग बात कर रहे हैं. मरांडी ने कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा को यह पता है कि वह चुनाव बुरी तरीके से हार रहे हैं. इसलिए अभी से उन्होंने बहाना बनाना शुरू कर दिया है. आरोप लगाना शुरू कर दिया है कि बीजेपी चुनाव आयोग से मिली हुई है. कोई सबूत तो दे दे.
पिता की कसम खा कर भी जनता से की वादाखिलाफी
मरांडी ने कहा कि बंटी और बबली पति-पत्नी हैं. 5 साल इन दोनों ने झारखंड के लोगों को ठगा है. उन्होंने कहा था कि लोगों को 1 साल में 72000 रुपए देंगे. 5 साल हो गए हेमंत सोरेन ने किसी गरीब को 72000 रुपए नहीं दिये. मां बहनों को चूल्हा खर्च हर महीने 2000 रुपए देने की बात कही थी. 5 साल बीत गये, किसी को चूल्हा खर्च नहीं दिया. उन्होंने बेटियों से कहा था कि शादी होने पर सोने का सिक्का देंगे. एक भी लड़की को सोने का सिक्का नहीं दिया. वृद्ध, दिव्यांग को कहा था कि ढाई हजार रुपए महीने पेंशन देंगे. किसी को नहीं दिया. नौजवानों को 5 लाख नौकरी देने की बात कही थी. अपने पिताजी की कसम खाई थी. कहा था कि 5 लाख नौकरी नहीं देने पर राजनीति से संन्यास ले लेंगे. जो व्यक्ति पिताजी की कसम खाकर पूरा नहीं करता है, उन पर कौन भरोसा करेगा. विधानसभा में कहा था कि बीए पास को 5000 और एमए पास को 7000 रुपए भत्ता देंगे. एक भी काम पूरा नहीं किया. जब चुनाव आ गया, तब नया तरकीब भिड़ाया और महिलाओं को अगस्त से 1000 रुपए देने लगे. 3 महीना दिए हैं. उन्होंने दिसंबर से 2500 देने की बात कही है. यही बंटी और बबली का खेल है.